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बच्चों की सही तरीके से परवरिश करना
किसी भी पीढी में, मातापिता के लिए पहला लक्षय और पूर्व आवश्यकता अपने बच्चों की ऐसी परवरिश करना होना चाहिए कि वे अपने आप और सही तरीके से, दूसरों के लिए परेशानी उत्पन्न किए बिना जीवन जीने की तथा आत्म-निर्भरता एवं स्वतंत्रता की भावना के साथ संपूर्ण रूप से प्रभारित व्यक्ति बनने की क्षमता प्राप्त कर सके।
इसका अर्थ ज्ञान की अकादिमक प्राप्ति नहीं है। इसका अर्थ उन्हें सही मायने में यह हकीकत से जागरूक होने देना है कि हमारे खुद के आत्म-प्रयास के बिना, बेदाग और सही मन का विवेक प्राप्त करना संभव नहीं है, और अन्य सभी चीजें भी। साथ ही, जब मातापिता खुद बहुत सारे वास्तविक अनुभव से, रोजमर्रा की सामाजिक घटनाओं से सीखने का दृष्टिकोण रखते हैं, उनकी शिक्षा वास्तविक रूप से उनके बच्चों तक एक अनमोल और आदर्श जीवनकाल शिक्षा के रूप में संप्रेषित होगी।
ऐसी शिक्षा शब्द द्वारा नहीं सिखाई जा सकती है।
बच्चों को सभी कुछ के बारे में सीखाने का एकमात्र तरीका जीवन के प्रति मातापिता का दृष्टिकोण है।
यह निश्चित रूप से बच्चों के लिए सही शिक्षा है।
सब कुछ मातापिता के दृष्टिकोण से शुरू होता है, जिसके साथ बच्चों की परवरिश की जानी चाहिए। अपने बच्चों की देखभाल और परवरिश करना मातापिता का दायित्व है।
नए साल के दूसरे दिन हमारा नियिमत वार्षिक पारिवारिक सम्मेलन भी भविष्य के लिए एक दूसरे के साथ मन के कानूनों तथा हमारे मन के दृष्टिकोणों के बारे में सूचित करने और उनका आदान-प्रदान करने का स्थान भी है; वह ईश्वर को प्रणाम करने का समय, दृढ और विनीत अंतरात्मा प्राप्त करने के लिए परिवार के एक सदस्य के रूप में हम में से प्रत्येक के लिए प्रार्थना करने का; और एक चिरस्थायी परियोजना के लिए योजना बनाने का स्थान है।
यह निश्चित है कि हमारे पारिवारिक जमावडे प्राकृतिक और निरंतर रूप से हमारे बच्चों के दिल तक पहुँचेंगे, और किसी दिन वे मन की खिडकियाँ बनेंगे।
यदि मातापिता अपने कर्तर्व्यों को परिपूर्ण करने के प्रति दृढतापूर्वक समर्पित हैं, वह निश्चित रूप से उनके बच्चों के साथ भी काम करेगा।
‘एक दृढनिश्चयी आत्मा चट्टान को भी भेद सकती है’
यह बच्चों के लिए प्यार भरी शिक्षा है।
नियति संयोग से नहीं बनती है।
नियति हमारे मन से किए गए प्रयासों द्वारा निर्मित और पोषित होती है।